अस्सलामु अलैकुम दोस्तों, आज की दुआ बहुत खास है, क्युकी इसमें अक्सर लोग गलती करते है। Qabar par Mitti Dene ki Dua में बहुत लोग गलती करते है।
इसीलिए मैंने सोचा की क्यों नहीं आर्टिकल लिख दूँ। जिसमे हर चीज़ बता दू की कब्र में मिट्टी देने की दुआ क्या है? और कितनी बार मिटटी देना चाहिए तिन बार या पांच बार।
मिटटी देने के कब्ल यानि इससे पहले जनाज़े की दुआ पढ़ा जाता है. जिसमे बच्चा की जनाज़ा और बच्ची की जनाज़े की दुआ के अलावा मर्द व औरत होता है। जिसको सीखना बहुत सवाब का काम होता है।
Mitti Dene ki Dua
दोस्तों सभी लोगो को बखूबी मालूम होगा की कब्र पर मिट्टी तिन बार डाला जाता है और हर बार Mitti ki Dua भी पढ़ा जाता है। इसी लिए यहाँ पर दुआ को तिन भाग में बाता गया है तो चले जानते है।
पहली बार (Mitti Dene ki Dua)
मिन्हा खलकना कुम
अल्लाह ता’अला फरमाते है की तुमको इसी मिट्टी से बनाया
दुआ को पढ़ने के बाद ही मिट्टी को कब्र के अन्दर डाले फिर दूसरी बार मिट्टी फेकने के लिए मिट्टी को उठाये।
दूसरी बार (Mayyat ko Mitti Dene ki Dua)
व फिहा नोइदोकुम
और हमको इसी मिट्टी में हमको जाना है
यह दुआ को पढ़ने के बाद ही दूसरी मिट्टी जो अपने हाथों में उठाये थे उसको कब्र के अन्दर डाले और फिर तीसरी बार के मिट्टी को उठाये।
तीसरी बार (Mitti Dene ki Dua in Hindi)
व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा
आखिरत मे इसी मिट्टी से हम तुमको उठांएगे
फिर उसी तरह यह दुआ पढ़ने के बाद ही तीसरी मिट्टी को कब्र के अन्दर डाले और इस तरह से मिट्टी देने का तरीका भी सीख लिए।
मय्यत को कब मिट्टी देना चाहिए?
सबसे पहले मय्यत को अच्छी तरह से नहलाया जाता है फिर कफ़न पहना कर जनाज़ा की नमाज़ पढ़ते है उसके बाद ही मय्यत को कब्र के अन्दर रखने के बाद ही मिट्टी देना चाहिए।
कब्र पर कितनी बार मिट्टी डालना चाहिए?
नाज़रीन आज भी कुछ लोग ऐसे भी है जिनको जानकारी नहीं होने पर ज्यादा पर मिट्टी दे देते है। लेकिन कब्र पर तिन बार ही मिट्टी डालना चाहिए मगर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो पांच बार देते है जो की गलत तरीका है।
दोस्तों हमें चाहिए की जब भी कब्रिस्तान में दाखिल हो तो इसका दुआ जरुर पढ़ लेना चाहिए। इसकी बरकत बे-मिसाल है।
आज क्या सिखा
दोस्तों मुझे उम्मीद है की आप सभी को Qabar par Mitti Dene ki Dua और इसका तरीका बहुत पसंद आया होगा जिसमे तिन बार मिट्टी देना होता है और हर बार दुआ पढ़ा जाता है।
अगर नाज़रीन कभी भी इस दुआ को भूल जाये और आपके गाँव या मोहल्ले में किसी का इन्तेकाल हो जाये और मिट्टी देने का समय आ जाये तो इस वेबसाइट को बुकमार्क कर ले।
और जब भी जरुरत हो तो सिर्फ अपने गूगल क्रोम ब्राउज़र को ओपन करना है और अपने बुकमार्क पर क्लिक करके फिर याद कर ले।
दोस्तों इसी तरह का इस्लामिक दुआ याद करना चाहते है तो इस वेबसाइट को अपने दोस्तों में भी फेमस करे ताकि उनको भी ऐसी दुआ के बारे में मालूम चले।
Subhanallah
Good