Roza Rakhne ki Dua | Roza Rakhne ki Niyat

अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन, उम्मीद है आप सब अच्छे से होंगे आज के इस आर्टिकल मे हम आपको बताएंगे की Roza Rakhne ki Dua और इस दुआ को किस टाइम पढ़ा जाता है और अगर आप इस दुआ को आप पढ़ना भूल जाए तो क्या होगा।

दोस्तों Roza Rakhne ki Dua को दूसरे शब्दों मे रोज़े की नियत करना भी कहा जाता है और नियत दिल के इरादे का नाम है अगर आप इस दुआ को सहरी मे पढ़ना भूल जाए तो इनशाल्लाह ताला आपका रोज़ों हो जाएगा।

रमजान में तिन अशरा होता है। जिसका अलग अलग दुआ होता है, जो कुछ इस तरह है:

तीसरे अशरा के बाद ईद के चाँद की दुआ पढ़ा जाता है ये उस वक़्त पढ़ा जाता है। जब चाँद अपने आँखों से देखे या ख़बर सुने।

Roza Rakhne ki Dua

जैसा की आप सभी जानते है हर मुसलमान साल मे 30 दिन रोज़े रखता है, इस्लाम के पाँच बुननयादी अरकाम मे से रोजा रखना भी एक अहम अरकाम है जिसमे एक मुसलमान सुबह सहरी के वक्त यानि 3 से 4 बजे की बीच मे उठ कर कहते पीते है और शाम मे सूरज छिपने के बाद रोज़ा खोलते है और खाना खाते है।

सुबह सहरी मे रोज़ा रखने से पहले एक दुआ पढ़ी जाती जो ये है:

Roza Rakhne ki Dua In Text

Roza Rakhne Ki Dua in Hindi

व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमजान

रोज़ा रखने की दुआ का तर्जुमा

मैं रमज़ान के इस रोज़े की नियत करता/ करती हूं।

Roza Rakhne ki Dua in English

Wa bisawmi ghadinn nawaiytu min shahri ramadan

आज अपने क्या सीखा?

मैं उम्मीद करता हूँ आपको हमारे द्वारा बताई गई ये Roza Rakhne ki Dua काफी पसंद आई होगी, इस छोटी सी दुआ को आप किसी भी भाषा मे याद कर सकते है और रोजा रखते टाइम आप इस दुआ को पढ़ सकते है।

रोज़ा रखना मुसलमान पर फर्ज है और इसका बहुत ही ज्यादा सवाब है, इसलिए अगर आपको अल्लाह ताला ने कुव्वत दी है तो आप रोजा रखे। अगर आप दुआ को पढ़ना भूल जाते है और आपके दिल मे रोज़े की नियत हो तो इसनशालाह ताला आपका रोज हो जाएगा।

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Bilal Ahmad

इस्लामकादुआ.कॉम एक इस्लामिक वेबसाइट है जो बिलाल अहमद द्वारा 2023 में शुरू की गई है, ताकि दुनिया भर के लोगो तक ऑथेंटिक इस्लामिक दुआएं, और जानकारी हदीस की रौशनी में पहुंचाई जा सके।

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