Itikaf ki Dua | रमज़ान में एतिकाफ़ की नियत और दुआ

क्या आप Itikaf ki Dua सीखने और याद की तलाश में है? और जानना चाहते है की इतिकाफ़ में बैठने की नियत और दुआ क्या होती है? तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए है।

अगर आप मुसलमान है, तो मालूम ही होगा की रमजान की तीसरे अशरे में एतिकाफ़ में बैठना होता है। जिसकी सवाब और नेयमत बेसुमार है। और यह इतनी अहम इबादत है की नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने अपनी जिन्दगी में जितनी भी रमजान के महिना आए है। उन सभी महीनो में एतिकाफ़ फ़रमाया है।

इससे इस इबादत की अहमियत का पता चलता है। इसलिए हम में से हर शख्स की जिम्मेदारी है इतिकाफ़ जरुर बैठे। अगर खुद ना बैठ पाए तो अपने मोहल्ले या गाँव की मस्जिद में कम से कम किसी एक शख्स को बैठा दिया जाए। क्युकी अगर कोई शख्स आपकी मस्जिद में एतिकाफ़ के लिए नहीं बैठता है तो गुनाह होता है।

अब चलिए रमज़ान में एतिकाफ़ की नियत और दुआ के बारे में जान लेते है।

एतिकाफ़ क्या है ?

एतिकाफ़ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है रुक जाना, एतिकाफ़ को हम रमज़ान के आखिरी अशरे में यानी आखिरी 10 रोज़े में दुनिया से दूर मस्जिद में बैठकर औरत हो, तो घर के किसी हिस्से में बैठकर इबादत (नमाज़ पढ़ना, क़ुरान शरीफ़ की तिलावत करना, तस्बीह पढ़ना, जिक्र करना) करते हैं। इतिकाफ़ को इसीलिए करते हैं ताकि शबे कद्र से न महरूम रह पाए।

एतिकाफ़ की नीयत

नीयत का मतलब किसी भी चीज़ में नीयत यानी दिल से इरादा करना एतिकाफ़ की नीयत करने के लिए अगर आपको एतिकाफ़ की दुआ याद नहीं है तो आप दिल से इरादा कर सकते हैं।

एतिकाफ़ की नीयत करने के लिए आपको सिर्फ एतिकाफ़ की दुआ को पढ़ना होता है। नीचे हमने एतिकाफ़ की दुआ को लिखा है।

Itikaf ki Dua

Itikaf ki Dua

बिस्मिल्लाही दख़लतु व’अलैहि तवक्कलतु वनवयतू सुंनतुल इतिकाफ


Itikaf ki Dua in Roman English

Bismillahi Dakhaltu Wa’Alayhi Tawakkaltu Wanawaytu Sunnatul I’tikaaf


एतिकाफ़ की दुआ का तर्जुमा

मैं अल्लाह के ख़ुशनसीब नाम से मस्जिद में दाखिल हुआ हूँ और उसी पर भरोसा किया है और एतिकाफ़ की सुन्नत का इरादा किया है। ऐ अल्लाह मुझ पर अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे।


आज अपने क्या सीखा?

दोस्तों आज हमे इस पोस्ट की मदद से जाना की Itikaf ki Dua और नियत क्या होती और इस दुआ को किस तरह से पढ़ा जाता है।

इतिकाफ़ की दुआ को ही नियत बोलते है। आप दुआ पढ़कर नियत करें और 20वीं रमजान को मग़रिब के बाद नियत करे और मास्जिद में रुक जाए।

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Bilal Ahmad

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